
सुख में दुःख में जो सदा, रखते रहते टेव।
आते उनके रूप में, धरा-धाम पर देव।।
नफ़रत हैं जो घोलते, दो लोगों के बीच।
उनके जैसा जगत में, नहिं है कोई नीच।।
मधुर-मधुर सी बात कर, चलते टेढ़ी चाल।
उनके जैसा जगत में, नहिं कोई कंगाल।।
बीच सभा में दे नहीं, जो खुद को सम्मान।
उनके जैसा जगत में, नहीं अधम इनसान।।
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केशव मोहन पाण्डेय