
(दौहिक गीतिका) बाँध मत किसी बाँध से, रोक न मेरी धार। समय कभी सहला ज़रा, कर कठोर प्रहार।। चलना मेरा काम है, करना क्या आराम। चाहे जितना भी बढ़े, धरती का विस्तार।। कहने वाले कह रहे, मुझमे भरा घमंड। देखो दर्पण में जरा, खुद को भी तो यार।। मेरी दुनिया तुम सदा, मान या नहीं मान। मानेंगे इक दिन सभी, रहना तुम तैयार।। आँखों में तेरी छवी, मन में तेरा चित्र। साँसों का संगीत तुम,…
"ऐसा मेरा प्यार"